Thyroid Symptoms, Causes and Treatment in Women in Hindi
कहीं आपको भी थायरॉइड तो नहीं!
बेवजह थकान, सुस्ती, कमजोरी, डिप्रेशन या फिर डाइट कंट्रोल के बावजूद वजन कंट्रोल से बाहर हो रहा हो तो, देर न करें। यह थायरॉइड के चलते हो सकता है। अगर आप महिला हैं तो थायरॉइड होने की आशंका 50% ज्यादा है। आइये जानते हैं थायराइड के लक्षण, कारण और उपचार से जुड़ी कुछ जरूरी बातें: Let’s know Thyroid Symptoms, Causes and Treatment in Women in Hindi.
Why Thyroid more common in women, females?
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Thyroid Symptoms, Causes and Treatment in Women Females in Hindi |
महिलाओं को 50% अधिक खतरा – Women are 50% Higher Risk
थायरॉइड होने की आशंका महिलाओं मे ज्यादा होती है। उदाहरण के तौर पर, अंडरएक्टिव थायरॉइड Underactive Thyroid (हाइपोथायरॉइडिज़्म) होने का खतरा महिलाओं मे पुरुषों के मुक़ाबले 50% अधिक होता है।
कुछ वैज्ञानिक यह मानते हैं कि इसके लिए एस्ट्रोजन जैसे फ़ीमेल हार्मोन्स कई ऑटोइम्यून कंडीशंस के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, थायरॉइड से जुड़ी समस्याएँ जिनमे से एक हैं।
लेकिन महिलाएं इससे आसानी से कैसे प्रभावित हो जाती हैं इसकी वजह का सही-सही पता अब तक नहीं लग पाया है।
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ऐसे काम करती है थायरॉइड ग्लैण्ड – How Thyroid Gland Works
यह एक छोटी सी ग्लैण्ड यानि ग्रंथि होती है, जो आपकी गर्दन मे होती है और ऐसे हार्मोन्स बनाती है जो इस बात को रेगुलेट करते हैं कि आपका शरीर एनर्जी का कैसे इस्तेमाल करे।
थायरॉइड हार्मोन्स आपके ऑर्गन सिस्टम कि कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं: जैसे कि आपके शरीर के अंग कितनी तेजी से कितना धीरे-धीरे ऑक्सीज़न का इस्तेमाल करते हैं, प्रोटीन्स कैसे बनाते हैं या अन्य हार्मोन्स कि कार्यशैली।
ऐसे समझें फर्क – Understand the difference of thyroid
कई बार थायरॉइड ग्लैण्ड (Thyroid Gland) सही ढंग से काम नहीं करती है। अगर आपकी थायरॉइड ग्लैण्ड अंडरएक्टिव है, सामान्य से कम थायरॉइड हार्मोन बना रही है, तो इसका मतलब है कि आपको हाइपोथायरॉइडिज़्म है।
अगर आपका थायरॉइड ग्लैण्ड (Thyroid Gland) ओवरएक्टिव है, सामान्य से अधिक हार्मोन बना रहा है, तो यह हाइपरथायरॉइडिज़्म है। आमतौर पर अंडरएक्टिव थायरॉइड ग्लैण्ड होने पर लोगों का वजन बढ़ जाता है।
क्योंकि ऐसे मे थायरॉइड हार्मोन की कमी से शरीर का मेटाबोलिज़म स्लो हो जाता है। ऐसे मे शरीर मे नमक, पानी और फैट का रिटेंशन होता है। ओवरएक्टिव थायरॉइड मे आमतौर पर लोगों का वजन कम हो जाता है, क्योंकि उनका मेटाबोलिज़म बढ़ जाता है।
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दिखते हैं ये लक्षण – These symptoms of thyroid are seen
मेटाबोलिज़म स्लो होने का संबंध अंडरएक्टिव थायरॉइड ग्लैण्ड (Underactive Thyroid Gland) से है। इसके अलावा, थकान और वजन बढ़ना, डिप्रेशन, कब्ज, सुस्ती, स्किन और बाल ड्राई होना और मसल्स मे दर्द महसूस होने जैसे लक्षण सामने आते हैं। कुछ लोगों मे एनलार्ज्ड थायरॉइड भी दिखता है, जिसमे गले मे सूजन हो जाती है, जिसे गलगण्ड कहते हैं।
अधिकतर महिलाएं अपनी उम्र के 40वें या 50वें साल मे मीनोपौज़ मे प्रवेश करती हैं, और वैज्ञानिक अब तक यह पता नहीं लगा सके हैं कि, क्यों इसी उम्र मे थायरॉइड होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। कुछ रिसर्चर इसके लिए हार्मोनल बदलावों को जिम्मेदार मानते हैं।
प्रेग्नेंसी मे मुश्किल है पहचान
ज़्यादातर मामलों मे थायरॉइड सामान्य रूप से काम करता है, मगर प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोनल बदलावों के चलते दिक्कत होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
प्रेग्नेंसी मे इसका पता लगाना भी थोड़ा ज्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि इसके लक्षण प्रेग्नेंसी के आम लक्षणों से मेल खाते हैं, जैसे कि थकान, वजन बढ़ना, मूड बदलना, या नींद के पैटर्न मे बदलाव आदि। ऐसे मे प्रेग्नेंट महिलाओं की मॉनिटरिंग सही ढंग से की जानी चाहिए।
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फैमिली हिस्ट्री भी है जिम्मेदार
थायरॉइड का पारिवारिक इतिहास है तो अगली पीढ़ियों मे भी इसके होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। अमेरिकन थायरॉइड एसोसिएशन (American Thyroid Association) 35 साल कि उम्र से थायरॉइड टेस्ट शुरू कराने की सलाह देता है, और सब सामान्य हो तो हर 5 साल बाद टेस्ट करना जरूरी है। इसकी स्क्रीनिंग बेहद आसान है।
इसमे ब्लड सैंपल लेकर इसमे थायरॉइड-स्टिम्युलेशन-हार्मोन (टीएसएच) का लेवल और ब्लडस्ट्रीम मे अन्य हार्मोन्स का लेवल पता किया जाता है।
क्या है इलाज – What is the Treatment of Thyroid
अंडरएक्टिव थायरॉइड मे आमतौर पर थायरोक्सिन (Thyroxine) दिया जाता है, जो कि मुख्य थायरॉइड हार्मोन का सिंथेटिक वर्जन है। इसके कई अन्य विकल्प भी आ गए हैं, मगर यह सबसे सुरक्षित मानी जाती है।
हाइपरथायरॉइडिज़्म मे एंटीथायरॉइड दवाएं दी जाती हैं जो थायरॉइड ग्लैण्ड कि थायरॉइड बनाने कि क्षमता को ब्लॉक कर देती हैं।
रेडियोएक्टिव आयोडीन दिया जाता है, या ग्लैण्ड को रिमूव करने के लिए सर्जरी भी की जाती है।
मरीज की उम्र, उसकी हालत और उसकी हेल्थ के हिसाब से इलाज का तरीका तय किया जाता है।
अगर इलाज नही किया गया तो थायरॉइड आगे चलकर हार्ट डीजीज, स्ट्रोक, ओस्टियोपोरोसिस, इंफर्टिलिटी, मेंटल प्रॉबलम और प्रेग्नेंसी मे कई तरह की दिक्कतों का कारण बन सकता है।
हालांकि अब तक थायरॉइड की वजह से थायरॉइड कैंसर होने की किसी आशंका का पता नहीं चला है। यह हाइपरथायरॉइडिज़्म के रेयर केसेज मे देखा गया है।