How to Manage Urinary Incontinence in Hindi & Treatment for Urinary Incontinence
संभव है यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस का प्रबंधन
यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस (Urinary Incontinence) यानी मूत्र पर असंयम एक ऐसी आम बीमारी है जिससे बड़ी संख्या में महिलाएं (Female) और बुजुर्ग महिलाएं (Elderly Female) प्रभावित करती हैं। हालांकि इसके लिए जिम्मेदार अधिकांश कारणों को तो नियंत्रित करना संभव नहीं होता है। लेकिन अगर आप पहले से जागरूक हो गए, तो आप समस्या को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। आइए जानते है महिलाओं को बार बार पेशाब आना घरेलू उपाय और इलाज के बारे मे – How to Manage Urinary Incontinence in Hindi & Treatment for Urinary Incontinence.
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How to Manage Urinary Incontinence in Hindi & Treatment for Urinary Incontinence |
क्या है यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस – What is Urinary Incontinence
मूत्र पर असंयम (Urinary Incontinence) अथवा यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस का मतलब है, व्यक्ति का अपने ब्लैडर (Bladder) यानी मूत्राशय पर नियंत्रण खोना यानी bar bar peshab aana। इससे युरीनरी सिस्टम (Urinary System) से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि अचानक पेशाब हो जाना, बार बार पेशाब आना (bar bar peshab aana), कम लेकिन लगातार पेशाब लीक होते रहना अथवा कोई शारीरिक कसरत वाला काम (Physical Exercise Work) करते समय जैसे कि वजन उठाते समय पेशाब टपकना (Dribbling of Urine)।
यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस हो सकती हैं ये वजहें – Reasons for Urinary Incontinence
चूंकि इस समस्या पर हमारे समाज में आज भी बात करना एक टैबू जैसा माना जाता है। ऐसे में अधिकतर लोग चुपचाप इसके साथ ही जीते रहने को मजबूर होते हैं। यह बेबसी ब्लैडर के नर्व्ज के डैमेज होने की वजह से हो सकती है। यह वह नर्व हो सकती है जो रीढ़ की हड्डी और ब्रेन तक जाती है अथवा ब्लैडर की मसल हो सकती है। मल्टिपल स्क्लेरोसिस, पार्किंसंस डिजीज, अल्जाइमर्स डिजीज, स्टृोक और चोट से मूत्राशय की नर्व अथवा मांसपेशी को नुकसान हो सकता है।
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युरीनरी इनकॉंटिनेंस की समस्या – What is the Problem of Urinary Incontinence
इन कारणों को नियंत्रित नहीं किया जा सकत है। ऐसे में उन कारणों के बारे में जानना बेहद जरूरी है जो स्थिति को और बदतर बना सकते हैं:
यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की कुछ खास दवाएं – Some Special Medicines for Urinary Incontinence
अगर आपको युरीनरी इनकॉंटिनेंस की समस्या (Urinary Incontinence Problem) है और दिक्कत बद से बदतर हालत में पहुंचती जा रही है, तो आपको अपने डॉक्टर से मिलकर उन दवाओं (Medicine) के बारे में भी बात करनी चाहिए जो आप ले रहे हैं। क्योंकि ऐसा हो सकता है कि इनमें से कोई आपकी समस्या को बढ़ा रही हो।
कही ऐसा तो नहीं की ब्लड प्रेशर के लिए दी जाने वाली कुछ दवाओं का संबंध भी इससे है। अल्फा डायलेटर खून की नलियों को डाइलेट कर ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) को कम करती है और कई बार यह मूत्राशय की मांसपेशी (Bladder Muscle) पर भी असर डालती है।
डिप्रेशन से राहत के लिए दी जाने वाली दवाएं भी दिमाग की नर्व्ज को प्रभावित करती हैं। मूत्रवर्धक दवाएं (Diuretic Drugs) भी पेशाब का प्रवाह बढ़ा सकती हैं। असल में इन दवाओं को वॉटर पिल्स (Water Pills) कहा जाता है और इन्हें शरीर से अतिरिक्त नमक को बाहर निकालने के लिए बनाया गया होता है जिससे ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) जैसी समस्यओं को नियंत्रित किया जा सके।
कैफीन – Caffeine
कैफीन (Caffeine) हममें से अधिकतर लोगों की दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है क्योंकि हम सब कॉफी, चाय या चॉकलेट आदि के माध्यम से इसे लेते हैं। अत्यधिक मात्रा में कैफीन (Caffeine) का इस्तेमाल भी पेशाब असंयमित (Urinary Incontinence) होने की वजह बन सकता है या फिर जिसके कारण आपको बार बार पेशाब आना जैसी समस्या होने लगती है।। हालांकि मामूली मात्रा में लेने से इसका कोई दुष्परिणाम नजर नहीं आता है, लेकिन अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल हमारे रीनल सिस्टम (Renal System) को प्रभावित कर सकता है।
कैफीन (Caffeine), जैसा कि हम सभी जानते हैं, यह एक उत्तेजक है। यह कार्डियोवास्कुलर सिस्टम (Cardiovascular System) को उत्तेजित करता है जिससे हार्ट रेट बढ़ जाता है और ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है।
टाइप 2 डायबीटीज – Type 2 diabetes
टाइप 2 डायबीटीज (Type 2 diabetes) आज के समय की सबसे बड़ी समस्या बन गई है क्योंकि यह पूरे शरीर को प्रभावित करती है। यह मूत्र असंयम की समस्या (Urinary Incontinence Problem) बढ़ा सकती है साथ इसकी गंभीरता को बढ़ाने का काम भी करती है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर, नियमित व्यायाम (Regular Exercise) और वजन को नियंत्रण में रखकर डायबीटीज (Diabetes) से बचे रहना बेहद जरूरी है। अत्यधिक वजन से भी पेड़ू की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है और ये कमजोर पड़ जाती हैं। ऐसे में वजन नियंत्रण में रखना भी जरूरी है।
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ऐसे मैनेज करें युरीनरी इनकॉंटिनेंस – How to Manage Urine Incontinence
बताए गए उपायों के बावजूद भी अगर समस्या होती है तो डॉक्टरी सहायता (Doctor Help) अवश्य लें।
कुछ लोगों में व्यवहार संबंधी बदलाव भी कारगर साबित होते हैं। उदाहरण के तौर, तरल पदार्थों का इस्तेमाल सामान्य स्तर तक कम करना, पेशाब लीक होने से बचाव के लिए बार-बार पेशाब करते रहना और कब्ज से बचाव जो कि समस्या को बढ़ा सकता है। वजन घटाने से मोटे लोगों में फायदा होता है।
जब मूत्राशय पर अनियंत्रण की समस्या न्युरोलॉजिकल स्थिति का परिणाम होती है तब बोटुलिनम टॉक्सिन ए इंजेक्शन (Botulinum Toxin A Injection) 10 महीनों तक के लिए आराम पहुंचा सकता है। मूत्राशय की मांसपेशी में लगाने के बाद बोटुलिनम टॉक्सिन ए (Botulinum Toxin A) प्योरिफाइड प्रोटीन की तरह काम करता है जो अत्यधिक सक्रिय हो चुकी नर्व के इंपल्स को बंद करता है, जो असंयम के लिए जिम्मेदार होती हैं। जब अन्य उपाय निष्फल साबित हो जाते हैं तब ब्लैडर ऑग्मेंटेशन सर्जरी (Bladder Augmentation Surgery) भी की जा सकती है।