How to Control Sweat and Body Odor During Summer- ऐसे दूर रहेगी पसीने की दुर्गंध
हर मौसम अपने साथ कुछ अच्छी चीजें लेकर आता है तो कुछ समस्याएँ भी। गर्मियों की एक सबसे समस्या होती है ज्यादा पसीना और इसकी दुर्गंध (Body Odor) जिसके चलते किसी किसी का भी कोंफ़िडेंस लूज हो सकता है। पसीना (Sweat) आना एक सामान्य बात है, जो शरीर को ठंडा रखने के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन गर्मियों (Summer) मे इसकी मात्रा बढ़ जाती है और लापरवाही के चलते शरीर पर बैक्टीरिया पनपते हैं, जो दुर्गंध (Odor) का कारण बनते हैं: आइये जानते हैं कैसे गर्मी के दौरान पसीना और शरीर गंध नियंत्रित करे – How to Control Sweat and Body Odor During Summer.
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How to Control Sweat and Body Odor During Summer in Hindi |
दो तरह का होता है पसीना – There are two types of sweating
अंतर्राष्ट्रीय हाइपरहाइड्रोसिस सोसायटी (International Hyperhidrosis Society) के मुताबिक हमारे पूरे शरीर में दो से चार मिलयिन पसीने की ग्रंथियां होती हैं। इनमें से अधिकतर एक्राइनग्रंथियां होती है, जो सबसे ज्यादा पैर के तलवे, हथेलियों, माथे, गाल और बाहों के निचले हिस्से यानी कांख में होती हैं।
एक्राइन ग्रंथिया (Eccrine Glands) साफ और दुर्गंध रहित तरल छोड़ती हैं जिससे शरीर को ठंडक मिलती है। अन्य प्रकार की पसीने की ग्रंथियों को एपोक्राइन कहते हैं। ये ग्रंथियां कांखों और जननांगों के आस-पास होती हैं। ये ग्रंथियां गाढ़ा तरल बनाती हैं। जब यह तरल त्वचा की सतह पर जमा बैक्टीरिया के साथ मिलता है तब यह शरीर दुर्गंध पैदा करता है।
समझें हाइपरहाइडृोसिस की स्थिति
अनियंत्रित पसीना शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरीके से आपको परेशान कर सकता है। जब बेहद ज्यादा पसीना हाथों, पैरों और कांख के हिस्से को प्रभावित करता है तब इसे हम प्राइमरी अथवा फोकल हाइपरहाइडृोसिस (Focal hyperhidrosis) कहते हैं।
प्राइमरी हाइपर हाइडृोसिस 2 से 3 प्रतिशत आबादी को प्रभावित करती है। हालांकि इस समस्या से पीड़ित लोगों में से 40 फीसदी से भी कम लोग इसके इलाज के लिए मेडिकल सलाह लेते हैं।
अगर किसी अन्य मेडिकल वजह से पसीना आता है तब हम उस स्थिति को सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस (secondary Hyperhidrosis) कहते हैं।
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पसीने और इसकी दुर्गंध पर ऐसे पा सकते हैं काबू
साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें – पसीना अपने आप में दुर्गंध की वजह नहीं है। शरीर से दुर्गंध आने की समस्या तब होती है जब यह पसीना बैक्टीरिया के साथ मिलता है।
यही वजह है कि नहाने के तुरंत बाद पसीना आने से हमारे शरीर में कभी दुर्गंध नहीं आती। दुर्गंध आनी तब शुरू होती है जब बार-बार पसीना आता है और सूखता रहता है।
पसीने की वजह से त्वचा गीली रहती है और ऐसे में इस पर बैक्टीरिया को पनपने का अनुकूल माहौल मिलता है। अगर आप त्वचा को सूखा और साफ रखने की कोशिश करें तो पसीने के दुर्गंध की समस्या से काफी हद तक बच सकते हैं।
बाहों के नीचे और प्राइवेट हिस्सों को साफ-सुथरा एवं हवादार रखें। रोज अच्छी तरह से शरीर की सफाई करने के लिए कोई एंटी-बैक्टीरियल सोप इस्तेमाल करें।
नहाने के बाद शरीर को तौलिए से अच्छी तरह से सुखाएं और साफ कपड़े पहनें। अगर संभव हो तो तो दिन में दो बार शर्ट बदलें। कभी भी एक जुराबें दो दिन न पहनें और अपने तौलिए बार-बार धोते रहें।
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स्टृॉंग डियोडरंट और एंटीपर्सपिरेंट का इस्तेमाल करें
हालांकि डियोडरंट पसीना आने से नहीं रोक सकता हैलेकिन यह शरीर में दुर्गंध आने से रोकने में मददगार हो सकता है। स्टृॉंग पर्सपिरेंट पसीने के छिद्रों को बंद कर सकते हैं जिससे पसीना कम आता है। जब आपके शरीर की इंद्रियों को यह महसूस हो जाता है कि पसीने के छिद्र बंद हैं तो वह अंदर से पसीना छोड़ना बंद कर देती है। यह अधिकतम 24 घंटे तक कारगर रहता है इसके बाद वक्त के साथ साफ हो जाता है।
प्रेस्क्रिप्शन वाले और खासतौर से तैयार किए गए एंटी पर्सपिरेंट में अक्सर एल्युमिनियम क्लोराइड हेक्साहाइड्रेट (Aluminum Chloride Hexahydrate) जैसे एक्टिव तत्व होते हैं। ये बेहद प्रभावी एंटी पर्सपिरेंट होते हैं लेकिन अगर निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो त्वचा के इरिटेशन की वजह बन सकते हैं। ऐसे में कोई भी एंटी पर्सपिरेंट इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
लोंटोफोरेसिस – Iontophoresis
यह तकनीक आमतौर पर उन लोगों पर इस्तेमाल की जाती है जो हल्के एंटी-पर्सपिरेंट इस्तेमाल कर चुके होते हैं लेकिन उन्हें इससे कोई फायदा नहीं होता है। इस तकनीक में आयनोटॉफोरेसिस नामक मेडिकल डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है जिसके माध्यम से पानी वाले किसी बर्तन या ट्यूब में हल्के इलेक्टिृक करंट डाले जाते हैं और फिर प्रभावित व्यक्ति को इसमें हाथ डालने के लिए कहा जाता है।
यह करंट त्वचा की लेयर के माध्यम से भी प्रवेश करता है। इससे पैरों और हाथों में पसीना आने की समस्या बेहद कम हो सकती है। हालांकि अंडरआर्म यानी कांख के नीच अधिक पसीना आने की समस्या को ठीक करने के लिए यह तरीका उपयुक्त नहीं होता है।
बोटॉक्स – Botox
अंडरआर्म में पसीना आने की गंभीर समस्या जिसे प्राइमरी एग्जिलरी हाइपरहाइडृोसिस के उपचार हेतु यह एफडीए से मान्यता प्राप्त प्रॉसीजर है। अंडरआर्म में प्योरिफाइड बोटुलिनम टॉक्सिन (purified botulinum toxin) की मामूली डोज इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है जिससे पसीने की नर्व्ज अस्थायी रूप से बंद हो जाती हैं।
ऐग्जिलरी हाइपरहाइडृोसिस से राहत के लिए यह बेहतरीन विकल्प है क्योंकि इसका असर 4 से 6 महीने तक रहता है।
फोकल हाइपरहाइड्रोसिस (Focal hyperhidrosis) जैसे कि माथे और चेहरे पर जरूरत से ज्यादा पसीना आने की समस्या के उपचार हेतु मेसो बोटॉक्स एक बेहतरीन समाधान साबित होता है। इसमें पसीना आना कम करने के लिए डाइल्युटेड बोटॉक्स को इंजेक्शन के जरिए त्वचा में लगाया जाता है।
अपने खान-पान पर भी रखें नजर
खान-पान की कुछ चीजों से भी पसीना अधिक आ सकता है। उदाहरण के तौर पर गर्म मसाले जैसे कि काली मिर्च ज्यादा पसीना ला सकती है। इसी तरह से अल्कोहल और कैफीन का अधिक इस्तेमाल आपके पसीने के छिद्रों को ज्यादा खोल सकते हैं।
इसके साथ ही प्याज जैसी चीजों के अधिक इस्तेमाल से पसीने की दुर्गंध बढ़ सकती है। ऐसे में गर्मी के दिनों में इन चीजों के अधिक इस्तेमाल से बचने की सलाह दी जाती है। खूब सारा पानी पिएं, फल खाएं और खाने में मसालों का इस्तेमाल न करें और स्वस्थ आदतों Healthy Habits का पालन करें।